अध्याय 6ऑरोरा ने महसूस किया कि वह किसी खामोश उग्र तूफान की तरह सीढ़ियों से ऊपर आ रहा है और वह समझ नहीं पाई कि छिप जाए या भाग जाए। सच तो यह था, वह जानती ही नहीं थी कि उसे कहना क्या है, वह पीछे हटते हुए छत के किनारे की ओर बढ्ने लगी। बुरे से बुरा क्या होगा, वह उसे भी लात मार कर सीढ़ियों से नीचे फेंक देगी, जैसे उसने दूसरे आदमी को फेंका था। जैसे ही दरवाजा खुला वह चौंक गई और पाया कि उसकी निगाहों ने उसे फौरन ढूंढ लिया। तभी जब उसने अचानक नज़र उठा कर दीवार पर लगे एक उपकरण को देखा, जिस पर पहले उसने ध्यान नहीं दिया था और उसे अपने हाथ में कुचल दिया, तो उसकी भौंहें तन गईं। जब उसकी नीली की आँखें धीरे-धीरे फिर से उसके ऊपर आ गईं, तो वह और भी घबरा गई और एक और कदम पीछे हट गई... उसे महसूस ही नहीं हुआ कि वह पहले ही छत के किनारे पर पहुँच चुकी है। उसे आश्चर्य की सांस लेने का भी समय नहीं मिला, अचानक उसके पैरों

