मुकेश का इस दुनिया में कोई नहीं था सिवाय उसकी मिनी बस के मुकेश मिनी बस से मंसूरी से लेकर चंपा तक यात्रियों को छोड़ता था चंपा से लेकर यात्रियों को मंसूरी बस अड्डे आता था
सुबह से रात तक उसका यही काम थामिनी बस से ही उसकी रोजी-रोटी चलती थी मिनी बस उसकी अपनी थीमुकेश एक बहुत होशियार ड्राइवर था मिनी बस के अलावा वह ट्रक छोटी-बड़ी गाड़ियां सभी चला लेता था पहाड़ के टूटे-फूटे खतरनाक रास्तों परगाड़ी चलाने में मुकेश का दूर-दूर तक नाम था
दूर-दूर गांव के लोग मुकेश से गाड़ी सीखने आते थेजो भी मुकेश से गाड़ी चलाना सीखता था उसकी ड्राइवर की नौकरी आसानी से और जल्दी लग जाती थी मुकेश के नाम की वजह सेमुकेश अपनी जिंदगी से खुश थामुकेश में सबसे बड़ी कमी थी
वह यात्रियों से झगड़ा करता थाझगड़े की सबसे बड़ी वजह यह होती थी कि उसको चाय पीने की बुरी लत थी
मुकेश को खाना मिले या ना मिले चाय पीने के लिए उसे जरूर चाहिए थीकहीं भी चाय की दुकान देख कर अपनी मिनी बस रोक देता था इसी वजह से सवारी उससे नाराज हो जाती थी पर मुकेश एक अच्छा ड्राइवर था
सवारियों को समय पर उनके ठिकाने पर पहुंचा देता थामुकेश रात को सवारियों को छोड़ने के बाद बस में खुद ही खाना बनाता था और बस में ही सोता था
वह अकेलेपन की वजह से भी चिड़चिड़ास्वभाव हो गया था पर फिर भी वह एक अच्छा इंसान नहीं था किराए में कोई भी यात्री उसे ₹1 भी कम देता था तो वह झगड़ा करता था बीच रास्ते में पहाड़ों में यात्री को उतार देता था
उसकी गाड़ी के सामने अगर कोई गाय कुत्ता बिल्ली आता था तो वह उन्हें टक्कर मारने से भी नहीं घबराता था1 दिन सुबह से मौसम खराब था
बर्फ पड़ने के आसार बन रहे थे और शाम होते-होते हल्की-हल्की बर्फ पड़ना शुरू हो गई थी सब दुकान वाले यात्री जल्दी-जल्दी अपने घरों को पहुंचना चाहते थे इसी वजह से पहाड़ की छोटी मोटी सारी दुकानें जल्दी-जल्दी बंद होने लगी थी
रात होने से पहले सारी दुकानें बंद हो जाती है और मुकेश का काम भी उस दिन जल्दी खत्म हो जाता है
क्योंकि सभी बर्फ के डर से अपने घर पहुंच गए थे पहाड़ पर दुकानें बंद देखकर मुकेश चकरा जाता है उसको तो चाय पीने की तलब थी वह गाड़ी लेकर चाय की दुकान में ढूंढने लगता है
जब बर्फ तेज होने लगती है तो वह समझ जाता है
अब मुश्किल है कोई चाय की दुकान खुली मिले इसलिए वह अपनी मिनी बस को तेज गति से पहाड़ों के रास्ते पर इधर से उधर दौड़ा आने लगता है
गाड़ी चलाने से ज्यादा उसका ध्यान चाय की दुकानों को ढूंढने पर था बस उसे किसी भी तरह इस ठंडे मौसम में चाय चाहिए थी चाय की तलब की वजह से उसकी सोचने समझने की शक्ति कम हो गई थी पहाड़ के रास्तों पर चारों तरफ बर्फ की वजह से फिसलन थी
एक घाटी के पास आकर उसकी गाड़ी अपना बैलेंस खो देती है गाड़ी फिसल कर एक बहुत गहरी खाई में गिर जाती है
और खाई में गिरने से मुकेश की मौत हो जाती है
गाड़ी के परखच्चे उड़ जाते हैं सुबह जब मंसूरी और चंपा के आसपास के गांव के लोगों को पता चलता है
कि मुकेश ड्राइवर की खाई में गिरने से मौत हो गई है तो वह बहुत दुखी होते हैं क्योंकि मुकेश उन सब को समय पर अपने घर पहुंचा देता था
मुकेश की मिनी बस की वजह से परिवहन की समस्या से गांव के आसपास के लोग बचे हुए थे कुछ दिनों
बाद धीरे-धीरे एक बात मंसूरी से चंपा तक फैलने लगती है कि मुकेश ड्राइवर मरने के बाद एक भयानक भूत बन चुका है
यह बात सच थी मुकेश एक खतरनाक भूत बन चुका था क्योंकि उसकी अंतिम इच्छा चाय पीने की पूरी नहीं हुई थी
इसलिए मुकेश मंसूरी से चंपा तक के पहाड़े के रास्ते पर घूमता रहता था और चाय की दुकानों को ढूंढता था
जो भी चाय की दुकान मिलती थी उसके पास रुक जाता थापहाड़ों पर चाय की दुकानों पर चाय प्लास्टिक के गिलास शो में मिलती थी
लोग चाय पीने के बाद गिलास को कूड़ेदान की बाल्टी में फेंक देते थे मुकेश जिस भी चाय की दुकान पर जाता था वह कूड़ेदान की बाल्टी से चाय के गिलास निकालता था और उनमें जो थोड़ी बहुत चाय होती थी
उसको अपनी लाल-लाल भयानक आंखों से घूरता थाएक दिन गधा गीदड़ अपने जंगल के लिए एक चाय की दुकान के आगे से निकलते हैं
उस चाय की दुकान के पीछे एक बहुत पुराना बरगद का पेड़ थाबरगद के पेड़ की टहनियां आपस में तेज तेज टकरा रही थी चारों तरफ पेड़ की आवाज गूंज रही थी
गीदड़ की नजर उस पेड़ पर पड़ती है उस पेड़ की तरफ देखकर गीदड़ घबरा जाता है और गधे से बोलता है यह देखो पेड़ पर क्या चीज है गधा भी पेड़ की तरफ देखता है
पेड़
पकड़कर कोई आदमी झूल रहा था सफेद रंग के कपड़े पहनकर उसके पैर कभी जमीन पर लगते थे कभी हवा में आसमान की तरफ उड़ जाते थेयह है
दोनों यह भयानक सीन देखकर समझ चाहते हैं कि यह कोई इंसान नहीं भूत है दोनों यह दृश्य देखकर घबराकर कांपने लगते हैं
और डर की वजह से वहां से आंख मीच कर भागने लगते हैं जंगल की तरफभागते भागते यह अपने जंगल में घुस जाते हैंडर की वजह से
यह अंधाधुंध भाग रहे थे इसी वजह से सामने से दो भेड़िए आते इनको दिखाई नहीं देते हैं यह भेड़ियों से टकरा जाते हैं
यह इतनी जोर से टकराते हैं कि धड़ाम से जमीन पर आकर गिर जाते हैंभेड़िएइन दोनों को जमीन से उठाते हैं और पूछते हैं तुम दोनों इतने डरे हुए क्यों भाग रहे थे
क्या बात हैगधा गीदड़दोनों भेड़ियों को बताते हैं कि आगे उस चाय की दुकान पर जो बरगद का पेड़ है वहां एक भूत पेड़ पर झूल रहा है उसके पैर कभी जमीन पर लगते हैं और फिर आसमान की तरफ चले जाते हैं
दोनों भेड़िए इनकी बात का मजाक उड़ाते हुए उसी दुकान की तरफ चले जाते हैं जहां मुकेश का भूत थागधा गीदड़ पीछे से इन्हें रोकने के लिए बहुत आवाजें देते हैं
पर यह दोनों गधे और गीदड़ की आवाजों को अनसुना करके उसी चाय की दुकान की तरफ चले जाते हैं जहां भूतहै
थोड़ी ही देर बाद इन दोनों भेड़ियों की चिल्लाने की आवाज आने लगती है इनकी चिल्लाने की आवाज इतनी दर्दनाक और भयानक थी
कि पूरा जंगल इनकी आवाज से गूंज आता है इनकी आवाज को सुनकर जंगल के बाकी जानवर भी इकट्ठा होकर उसी तरफ आ जाते हैं जहां से इनकी आवाज आ रही थी
जंगल के जानवर गधे गीदड़ के पास आते हैं यह जानवर थे
जंगली गाय हिरण हिरनी बंदर भालू बकरी मोरनी काली बिल्ली उल्लू आदियह सभी जानवर गधे गीदड़ से सारी कहानी पूछते हैं गधा गीदड़ बताते हैं कि उस चाय की दुकान के पास जो पुराना बरगद का पेड़ है
उस पर एक भूत है हमने दोनों भेड़ियों को वहां जाने से मना किया पर वह नहीं माने लगता है भूत ने उन दोनों को पकड़ लिया है इसलिए वह तेज तेज शोर मचा रहे हैं
उल्लू सामने आकर बोलता है लगता है यह कोई बहुत खतरनाक भूत है अगर इसे हमने यहां से नहीं भगाया तो यह हमारे जंगल और हम जानवरों को बर्बाद कर देगा
काली बिल्ली सभी जानवरों से बोलती है जल्दी से कोई योजना बनाओ इस भूत को यहां से भगाने की और इन भेड़ियों की जान सभी जानवर सोचने लगते हैं कि यहां से भूत को भगाने का क्या रास्ता हो सकता हैजंगली गाय कुछ सोच समझकर सबको चुप करा कर बोलती है मेरे पास एक रास्ता है
हमारे जंगल में यह जो सामने मंदिर है यह मंदिर बहुत प्राचीन है और पवित्र है इसकी शक्ति बहुत है कभी-कभी कुछ मनुष्य यहां पूजा करने आते हैं
जंगली गाय जानवरों को बताती है इस मंदिर के अंदर हवन सामग्री है आम की लकड़ी है
हवन कुंड है देसी घी है
है
माचिस और पूजा का बाकी सामान भी है क्योंकि यहां मनुष्य पूजा करने आते हैं तो वह पूजा का कुछ
सामान यहीं छोड़ जाते हैंहमें हवन करना होगा हवन का जो धुआं होगा उससे भूत भाग जाएगा यह मुझे पता है हमें जायदा से जायदा दुआ करना होगा सामग्री और घी डाल कर
जंगली गाय और सभी जानवर जल्दी-जल्दी भागकर मंदिर के पास पहुंच जाते हैं
जंगली गाय बंदर भालू से कहती है
की हवन कुंड और आम की लकड़ी लेकर बीच सड़कपर रख दोजंगली गाय भालू और बंदर से कहती हैं हवन कुंड में लकड़ी डालो और देसी घी डालो कुछ सामग्री डालो और माचिस से आग लगा
दो फिर सभी जानवरों से कहती है
इसमें लगातार सामग्री डालते रहो जिससे धुआ तेज हो जाए
सभी जानवरों को जंगली गाय हवन कुंड के पास लेकर बैठ जाती है और सब से बोलती है इस कुंड की आग में थोड़ी-थोड़ी सामग्री सब डालते रहोगधा गीदड़ जंगली गाय से बोलते हैं हम भूत से इतनी दूर बैठे हुए हैं भूत हमारे हवन कुंड तक कैसे आएगा गधे गीदड़ की बात सुनकर उल्लू जंगली गाय के पास आकर बोलता है
कि मैं उल्लू हूं मुझे और काली बिल्ली को
देखकर बुरी आत्माएं जल्दी आकर्षित होती हैउल्लू जानवरों से बोलता है
मैं और काली बिल्ली इस हवन कुंड के धुए से थोड़ा दूर बैठेंगे भूत की तरफ भूत खुद आकर्षित होकर हम दोनों में से किसी एक के पास आ जाएगा
जैसे ही भूत हमारे पास आएगा तो हवन कुंड का धूआ
हमारी तरफ कर देनाहवन कुंड के धूआ में भूतफस कर भस्म हो जाएगाकाली बिल्ली और उल्लू हवन कुंड से दूर हटकर भूत की तरफ चले जाते हैं इन दोनों की खुशबू भूत की नाक तक पहुंच जाती है भूत काली बिल्ली और उल्लू को
देखकर उल्लू के शरीर में उड़कर घुस जाता है भूत के वहां से गायब होते ही दोनों भेड़िए मौका देख कर भाकर इन जानवरों के पास आकर बेहोश हो जाते हैंउल्लू अपने पंख फड़फड़ा कर नाचने लगता है
उल्लू की ऐसी हालत देखकर बिल्ली डर जाती है और वहां से भागने लगती है
जैसे ही बिल्ली वहां से भागती है भूत उल्लू के शरीर से निकलकर बिल्ली के शरीर में घुस जाता हैबिल्ली तरह-तरह की आवाज में रोने लगती है और नाचते हुए हवन कुंड की तरफ आती है जहां जानवर बैठे हुए थे
सभी जानवर काली बिल्ली का भयानक रूप देखकर डर से कांपने लगते हैं और एक दूसरे के ऊपर गिरते पड़ते वहां से भागने लगते हैं जंगली गाय पीछे से
आवाज लगाती है इधर-उधर नहीं भागो सब पुराने मंदिर की तरफ चलोभालू बंदर गीदड़ गधा दोनों भेड़ियों की टांग पकड़ कर खींचते हुए मंदिर तक ले आते हैं
खींचने की वजह से दोनों भेड़ियों को होश आ जाता हैजानवरों के वहां से भाग जाने के बाद काली बिल्ली की नजर उल्लू पर पड़ती है काली बिल्ली में मुकेश का भूत था वह उल्लू के दोनों पर पकड़ कर उल्लू को इधर-उधर घसीटते लगती हैअचानक जोर जोर से आवाज आने लगती है खाई की तरफ से सभी जानवर उस तरफ देखते हैं तो देख कर खुश हो जाते हैं सूअरों का एक बड़ा झुंड हवन कुंड की तरफ ही आ रहा थासूअरों को देखकर सभी जानवर भूत का किस्सा चिल्ला चिल्ला कर सूअरों को बता देते हैं सूअरों का झुंड उनकी सारी बात समझ जाता हैझुंड में से कुछ हवन कुंड के पास बैठ जाते हैं और सामग्री डाल डाल कर धूआ करने लगते हैं
उनमें से दो तीन सूअर काली बिल्ली की तरफ अपने दांत निकाल कर बैठ जाते हैं काली बिल्ली के शरीर में मुकेश का भूत था इसलिएसूअरों के दांतो को काली बिल्ली देखती है अपनी भयानक और लाल-लाल आंखों से काली बिल्ली की आंखें सूअर के दांतो से हटती नहीं
दूसरी तरफ बाकी सूअर कुंड के धूआ को और तेज कर देते हैं काली बिल्ली के शरीर से मुकेश का भूत निकल कर उस हवन कुंड में चला जाता है और धूआ में घूमता हुआ आसमान की तरफ उड़ जाता है
मुकेश के भूत का अंत होने पर सभी जानवर बहुत खुश हो जाते हैं और खुशी में नाचने लगते हैं सभीजानवर सूअरोंके पास आकरउनके गले लग जाते हैं_कहानी की शिक्षा_ अगर समाज में कोई बुरा आदमी घुस आए तो सभी को मिलकर उसका मुकाबला करना चाहिएनहीं तो वह समाज और किसी भी व्यक्ति को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता हैसभी की जिम्मेदारी है कि उसे सब मिलकर कानून के हवाले कर देनहीं तो समाज का विकास रुक सकता है_ दाई मां_ देवकी एक आधी आयु की बुढ़िया औरत थीपर वह सेहत से बहुत तंदुरुस्त थी
वह रोज सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करने जाती थीउसके पति का एक भयानक बीमारी से देहांत हो गया था
पति की बीमारी के इलाज में उसकी खेती की जमीन भी बिक गई थी गांव का घर लाला के पास गिरवी थाफिर भी देवकी अपने जीवन से संतुष्ट थी
इसी वजह से वह सेहत का ज्यादा ध्यान रखती थीउसने दो बकरियां भी पाल रखी थी व्यायाम करने के
बाद इन बकरियों का दूध गर्मकरके
पीती थीऔर कुछ दूध वह गांव के गरीबबच्चों में बांट देती थी
दाई का काम करती थी
इसी काम से उसके घर की रोजी रोटी इसी सेचलती थीउसे बच्चों से
बहुत प्यार था
वह बच्चे इंसान के हो या पशु पक्षी के सभी से बहुत प्यार करती थीउसकी
अपनी कोई औलाद नहीं थीदेवकी का एक छोटा भाई था
अपनी पत्नी के कहने पर चलता था उसके लिए यह शब्द बिल्कुल सही था जोरू का गुलाम उसकी पत्नी देवकी से
नफरत करती थीइसी वजह से उसने विपिन की खेती की जमीन और घर बिकवा दिया था और उस पैसे को इकट्ठा करके शहर चली गई
थी विपिन के साथ व्यापार करने के लिएशहर में उसका मायका भी था विपिन अपने मायके वालों के इशारे पर ही चलता था
देवकी कि उसे कोई परवाह नहीं थी1 दिन सर्दी का मौसम था देवकी को सर्दीजुखाम बुखार हो गया था वह अपने घर में आराम कर रही थी उसी समय घर का
दरवाजा कोई खटखट खाता है देवकी दरवाजा खोल कर देखती है एक बहुत ही परेशान लग रहा आदमी हाथ जोड़कर खड़ा था वह देवकी से बार-बार
यही कह रहा था देव की मां मेरी पत्नी और बच्चे को बचा लो मेरी पत्नी को बच्चा होने वाला है आस-पास कोई डॉक्टर नहीं मिल
रहा ना ही आप जैसी कोई होशियार दाई मुझे पता है कि आपने बहुत मुश्किलसे मुश्किल समस्याओं को हल किया है देवकी बीच में रोककरबोलती है पर आज मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकती क्योंकि मेरी बहुत ज्यादा तबीयत खराब है
पर वह आदमी मानने को तैयार नहीं था देवकी को भी उसकी हालत देखकर दया आ जाती है
वह उसके साथ चलने के लिए तैयार हो जाती है उसका गांव दूर था रास्ता भी अच्छा नहीं था इस वजह से देवकी की और तबीयत बिगड़ जाती है किसी तरह हिम्मत करके देवकी उसके घर पहुंच करभगवान का
नाम लेकर अपना काम शुरू कर देती है और कुछ समय बाद उसकी पत्नी को लड़की पैदा होती है लड़की बहुत ही सुंदर प्यारी गोल मटोल थी वह आदमी और उसकी पत्नी लड़की को देखकर बहुत खुश हो जाते हैं
वह आदमी दाई मां के पैरों में गिर जाता है और बोलता है आज देव की मां तुम मेरे घर की मेहमान हो मैं आज तुम्हारी दावत करना चाहता हूं कल सुबह मैं तुम्हें बहुत सा उपहार देखकर खुद तुम्हारे घर तक छोड़ने जाऊंगा देवकी उसकी जीत के आगे मजबूर हो जाती है
और बोलती है चलो ठीक है बेटा रात को उसके आंगन में एक कुत्तिया बैठती थी वह कुत्तिया उसके मेहमान खाने वाले कमरे में कुछ कुत्ते के बच्चों को जन्म देती है सुबह देवकी मां उन बच्चों को देखकर बहुत खुश हो जाती है उन कुत्तों के बच्चों पर एक बच्चा बहुत ही सुंदर था उसका रंग
बड़ी बड़ी आंखें मजबूत पंजे भारी चेहरा देखकर देवकी खुश हो जाती है वह उस आदमी से बोलती है कि मैं इन कुत्तिया के बच्चों में से इस बच्चे को अपने साथ ले जाना चाहती हूं पालने के लिए वह आदमी खुशी
से तैयार हो जाता है और उस बच्चे को साफ सुथरा करके देवकी मां को दे देता है फिर वह आदमी देवकी को बहुत सा उपहार देता है और अपनी खुशी से पैसे देता है फिर अपने ट्रैक्टर में बिठाकर देव की मां को उसके घर तक छोड़ कर आता हैदेवकी उस कुत्ते के बच्चे
की परवरिश मनुष्य के बच्चों की तरह करती है वह कुत्ता भी बहुत समझदार और चालाक था उसकी ताकत और हिम्मत को देखकर देवकी उसका नाम भीम रखती हैवह कुत्ता जैसा ही ताकतवर था धीरे-धीरे वह बड़ा होने लगता है भीम गांव की गाय भैंस बकरी यों को चुगानेजाता था और उनकी पूरी चौकीदारी करता था शाम को सब को इकट्ठा करके घर लेकर आता था इसी वजह से गांव वाले भी भीम से खुश रहते थे वह भीम को अपनी खेती से अनाज और सब्जियां देते थे
और भीम को गांव में रोज कुछ ना कुछ खाने के लिए मिल ही जाता था गांव के सभी लोग भी भीम से प्यार करते थे और उसके दिमाग और चतुराई की
कदर करते थे देवकी ने भीम की परवरिश एक मनुष्य के बच्चे की तरह की थी इसलिए भीम
जानवर से ज्यादा मनुष्य बन चुका था देवकी की तरफभीम बहुत ही वफादार था
वह देवकी से बहुत प्यार करता था जब देवकी कहीं चली जाती थी तो वह चारों तरफ ढूंढता रहता थागांव वाले भीम को अनाज सब्जियां देते थे तो देवकी बोलती थी मेरा भीम कमाऊ पूत हो गया है यह सुनकर भीम अपनी पूछ हिला हिला कर देवकी
से बहुत प्यार करता था ऐसा महसूस होता था कि वह मनुष्य की तरह सारी बात समझ रहा हैदेवकी और भीम का जीवन बहुत खुशी से कट रहा था भीमकुत्ता देवकी को कुछ काम करते देखता था जैसे खाना बनाते कपड़े धोते तो भीम कुत्ता
मदद के लिए आ जाता था वह इतना होशियार था कि इंसानों की तरह देवकी की मदद करता था देवकी
खुद सोच में पड़ जाती है कि यह कुत्ता है या किसी इंसान की आत्मा इसके अंदर हैदिवाली का
समयआ रहा थादेवकी भीम कुत्ते के साथ शहर घूमने की योजना बनाती है
औरभीम कुत्ते से बोलती है तूने शहर नहीं देखा
आज तक
हम इस बार दिवाली का सामान लेने शहर जाएंगे और तू शहर में खूब घूमना भीम कुत्ता पूछ हिला हिला कर बहुत खुश होता है
फिर दोनों खाना खा कर सो जाते हैं भीम कुत्ता आधी रात को ही देवकी को जगह देता है देवकी की समझ
जाती है यह शहर घूमने के लिए मुझे जगह रहा है
वह भी कुत्ते से बोलती है बेटा अभी तो रात है हम कल सुबह जल्दी शहर चलेंगे भीम कुत्ता समझ जाता हैसुबह जल्दी शहर के लिए निकल जाते हैं
वह जैसे ही बस से उतरकर शहर के बाजार की तरफ जाते हैंबाजार में बहुत भीड़ लगी हुई थी कुछ पुलिस वालों और सेना ने एक बस को चारों तरफ से घेर रखा था लोग आपस में बातें कर रहे थे कि इस बस को कुछ आतंकवादियों ने घेर लिया है बस में
70-80 यात्री है आतंकवादियों की मांग यह है कि वह अपने आतंकवादी साथी को छुड़वाना चाहते हैं नहीं तो
बस के यात्रियों को मृत्यु के घाट उतार देंगे देवकी और भीम कुत्ता भी भीड़ में खड़े होकर सारा नजारा देखने लगते हैं
बस के अंदर देवकी का भाई और उसकी पत्नी थे उन्हें भी आतंकवादियों ने उसके साथ कैद कर रखा था देवकी की पत्नी बस के अंदर से देवकी को देखती है और जोर-जोर से चिल्लाने लगती है
देवकी दीदी हमें बचाओ देखी दीदी हमें बचाओ देवकी का भाई विपिनदेवकी को देखकर बस की दूसरी खिड़की से तेज तेज आवाज लगाता है
अब लगता हैहमारा अंतिम समय आ गया है देव की बहन बहन
पुलिस सेना से बोलकर हमें बचा लो भीम कुत्ता देवकी के पास ही खड़ा था बस में से विपिन और उसकी पत्नी चिल्ला रही थी
भीम कुत्ता यह सब देख रहा था और सुन रहा था वह समझ जाता है यह कोई हमारे अपने हैं जो देवकी मां को आवाज लगाकर बार बार बुला रहे हैं
यह भी समझ जाता है यह बस के अंदर किसी भयानक मुसीबत में है इनको बचाना ही पड़ेगा क्योंकि भीम देवकी के लिए कुछ भी कर सकता था देवकी का नाम लेकर गांव में भी लोग उससे अपने मतलब का काम करवा लेते थे
फिर भीम बिना सोचे समझे पूरी ताकत से बस पर हमला कर देता है हमला करने पर भीम अपने चतुर दिमाग से सोचता है इसी वजह से वह पहले ड्राइवर को आतंकवादी के चंगुल से मुक्त करवाता है उस आतंकवादी
को बुरी तरह चीर फाड़ देता है आतंकवादी के चंगुल से ड्राइवर निकलने के बाद मौका देख कर बस को दौड़ा देता है और बस पुलिस
और सेना की टोली के पास पहुंचा देता है पुलिस और सेना भी मौका देखकर बस पर धावा बोल देते हैं पुलिस सेना जब तक आतंकवादियों को पकड़ पाती या मारती उससे पहले ही भी उन आतंकवादियों की बुरी हालत कर देता है
उनके शरीर को पूरी तरह चीर फाड़ कर रख देता है आतंकवादी खून से लथपथ हो जाते हैं और सेना पुलिस उन पर कब्जा करके उन्हें बंदी बना लेती है
और बस के यात्रियों को मुक्त करवा देती है सेना पुलिस के बड़े अधिकारी यह सब देख कर बहुत खुश होते हैं और वहां जो जनता थी
तालियां बजाकर भीम कुत्ते का स्वागत करती है सेना और पुलिस के बड़े अधिकारीसरकार से भी भीम कुत्ते कोएक बड़ा इनाम देने की सिफारिश करते हैं सरकार भीम कुत्ते की बहादुरी से खुश होकर उसे
एक बड़ा इनाम देती है और इनाम के साथ एक सरकारी नौकरी देती है पुलिस दफ्तर में भीम की बहादुरी की वजह से उसकी सरकारी नौकरी लग जाती है .भीम को जब तनखा मिलती थी वह देवकी मां को अपने साथ ले जाता था भीम कुत्ता देवकी मां की सफेद साड़ी पकड़कर अपने अधिकारियों के पास कर देता था अधिकारी भी समझ गए थे कि भीम कुत्ता
क्या कहना चाहता है इसलिए वह हर महीने देव की मां के हाथों में भीम कुत्ते की तनख्वा रखते थेभीम कुत्ते की तनख्वाह के पैसे इकट्ठे करके सबसे पहले देव की मां अपने गांव के घर को लाला से छुड़वाती है
और फिर मकान बनवा दी है मकान बनवाने के बाद एक कमरा बड़ा सुंदर सा भीम के लिए तैयार करवा देती है और पैसे इकट्ठा करके कुछ गाय भैंस खरीदती है
गाय भैंस का दूध बेचने का व्यापार करती है देखते ही देखते गाय भैसों का दूध बेचने का व्यापार उसका बहुत बढ़ने लगता है अब भीम और देवकी का जीवन बहुत ही आनंद और खुशी से बीतने लगता है
देवकी भीम कुत्ते की तनखा और दूध के व्यापार के पैसे को इकट्ठा करके दानपुर भी किया करते थे
जैसे अनाथ आश्रम गरीब लड़कियों की शादी करवाना गरीबों को खाना खिलाना जानवरों को खाना खिलाना इंसान और जानवरों के अस्पताल में दान पूजा के स्थानों पर दानदेवकी को भीम कुत्ते के रूप में अपना बेटा मिल गया था
और भीम कुत्ते को मां दोनों अपने जीवन से बहुत खुश और संतुष्ट रहनेलगाते हैंकहानी की शिक्षा_ जो लोग अच्छे होते हैं
और भगवान पर भरोसा करते हैं उनकी मदद के लिए भगवान किसी ना किसी को भेज ही देता है
दूसरा जो वफादार होते हैं चाहे वह मनुष्य हो
या इंसान या पक्षी कभी अपने जीवन में दुखी नहीं रहता यह सबसे बड़ी सच्चाई है लोगों की अजमाई हुई_ पन्नालाल_ पन्नालाल यूपी के मथुरा शहर में रहता था मथुरा शहर के बाजार में इसकी खोए पनीर पेड़ा मिठाई की दुकान थीपन्नालाल एक अच्छा इंसान था वह सीधा साधा आदमी था जानवरों पक्षियों से उसे बहुत प्रेम था
पन्नालाल सुबह जल्दी उठकरस्नान करके फिर पूजा पाठ करके अपने मकान की छत पर जाता था वहां पशु पक्षियों के लिए दाना डालता था सभी पक्षी पन्नालाल को पहचानते थे वह पन्ना लाल के आस पास आ जाते थे दाना चुगने
फिर पन्नालाल नाश्ता करके अपनी पत्नी से खाने का टिफिन लेकरमिठाई दुकान चला जाता थाएक दिन पन्नालाल सुबह अपनी दुकान का ताला खोलकर दुकान के शटर को ऊपर कर रहा था तो उसके पैरों के पास दो कुत्ते के बच्चे पूछ हिला हिला कर पन्नालाल के पैर को चाट रहे थेपन्नालाल को महसूस होता है कि पीछे से कोई उसका पैर काट रहा है पन्नालाल पीछे मुड़कर देखता है तो दो कुत्ते के बच्चे उसके पैर से लिपटे हुए थे और बड़े प्यार से पूछ हिला रहे थे दोनों कुत्ते के बच्चे बहुत सुंदर थे पन्नालाल प्यार से दोनों को गोदी में उठा लेता है और दुकान से उनके खाने के लिए बिस्किट देता हैदूसरे दिन पन्नालाल इन दोनों कुत्तों के बच्चों के लिए एक खाने का बर्तन लाता है बाजार से खरीद केपन्नालाल उस बर्तन में दूध ब्रेड डालकर अपनी दुकान के आगे रख देता है दोनों कुत्ते के पिल्ले खेल खेल कर दूध ब्रेड खाते रहते हैंरात को दुकान बंद करने से पहले पन्नालाल इन कुत्तों के पिल्लों के लिए उस बर्तन में दूध ब्रेड डालकर जाता थाइनको प्यार करके घर चला जाता थासुबह जब पन्नालाल दुकान पर आता था तो कुत्ते के पिल्ले उससे और तेज तेज पूछ हिला कर प्यार करते थे पन्नालाल दुकान पर काम शुरू करने से पहले कुत्तों के खाने के बर्तन को साबुन पानी से धोकर उसमें दूध ब्रेड डालकर रख देता थाफिर अपनी दुकान में जाकर बैठ जाता था अपनी दुकान का काम शुरू कर देता था पन्नालाल थोड़ी थोड़ी देर बाद दुकान से बाहर आकर उन कुत्तों के पिल्लों को देखता था और उनसे प्यार करता था उन कुत्तों से पन्नालाल को इतना प्यार हो गया था कि उसे समय का पता ही नहीं चलता था कि कब शाम हो गईदुकान बंद होने के बाद यह दोनों कुत्ते के पिल्ले दुकान के आगे ही खेलते रहते थे और वही सो जाते थेरात को एक गाय बाजार में खाना खाने के लिए घूमती रहती थी वह इधर उधर से अपना पेट भर के इन दोनों कुत्ते के पिल्लो के पास बैठ जाती थी दुकान के आगेकुत्ते के पिल्ले गाय को गाय मां बोलते थे कुत्ते के पिल्ले दोनों शरारती थे वह थोड़ी थोड़ी देर बाद गाय से एक दूसरे की चुगली करते थे देखो गाय मां वह रोड पर जा रहा है वह उसकी दुकान में घुस गयागाय मां का रोज का काम था इन शैतान कुत्तों के पिल्लों को समझाना की रोड की तरफ मत जाना वहां बहुत बड़ी-बड़ी गाड़ियां चलती है तुम्हें चोट लग सकती है गाय मां जिन को समझाती थीपन्नालाल की दुकान के पास ही एक इमली का पेड़ था उस पर रात को एक उल्लू आकर बैठता थाएक दिन रात को इमली के पेड़ पर दो बिल्लियां
आकर बैठ जाती है बिल्लियां उस बाजार में कभी कबार घूमने आती रहती थी बिल्लियां उन कुत्तों के पिल्लों को देखते हैं
और आपस में एक दूसरे से बात करती हैं कि यह कुत्ते के पिल्ले यहां कैसे आ गए मिठाई की दुकान के पास हमें जब भी मौका लगता था हम यहां से मिठाई चुरा कर खा लेते थे
और कभी कबार मालिक भी मिठाई हमारे लिए फेंक देता था पर अब यह दो कुत्ते के पिल्ले जब बड़े हो जाएंगे तो यह हमें
यहां टिकने नहीं देंगेबिल्लियां सोचती है अभी तो अपने जंगल चलते हैं जंगल पहुंचकर इनको भगाने केलिए हमें कुछ योजना बनानी पड़ेगीऔर
दूसरे दिन दोनों बिल्लियां पूरी तैयारी से रात को आती है दोनों बिल्लियां कुत्ते के पिल्लो के आगे बार-बार छलांग लगा लगा कर होती है
यह दोनों बिल्लियां अपनी चालाकी से इन दोनों कुत्तों के पिल्लों को अपने पीछे दौड़ आती हैं दोनों कुत्तों के पिल्लों को दौड़ आते दौड़ आते अपने साथ बाजार से दूर अपने जंगल की तरफ ले जाती हैंउल्लू इमली के पेड़ पर बैठकर इन बिल्लियों की सारी हरकत देख रहा थाउल्लू बिल्लियों की चाल समझ जाता है
इन दोनों बच्चों की जान बचाने के लिए इनके पीछे पीछे उड़ते उड़ते पहुंच जाता है
पर पेड़ के नीचे दो तांत्रिक बैठे हुए थे इस वजह से उल्लू को वहीं रुकना पड़ जाता हैथोड़ी देर बाद वहां गाय मां आती है
गाय कुत्तों के पिल्लों को चारों तरफ ढूंढती है वह उसे दिखाई नहीं देते फिर वह बाजार के रोड पर खड़ी हो जाती है वहां भी उसे कुत्ते के पिल्ले दिखाई नहीं देते और इस वजह से गाय मां की आंखों से आंसू निकलने लगते हैं
सामने से तेजी से उड़कर उल्लू गाय मां के पास आता है और बिल्लियों की हरकत की सारी बात बताता हैउल्लू गाय मां को कहता है तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हें उन कुत्तों के बच्चों के पास लेकर चलता हूं गायक मां खुश हो जाती है बोलती है
ठीक है जल्दी चलो जल्दी चलो उल्लू गाय को लेकर चलते चलते आगे जाकर रुक जाता है आगे दो तांत्रिक पूजा कर रहे थे उल्लू गाय मां से बोलता है मैं इससे आगे नहीं जा पाऊंगा आगे दो तांत्रिक पूजा कर रहे हैं
मैं आपको रास्ता बताता हूं आप सीधे रास्ते पर चली जाओगाय तेजी से दौड़ कर ढूंढते ढूंढते उन बच्चों के पास पहुंच जाती है
दोनों बच्चों को पहले प्यार करती है फिर प्यार से अपनी पीठ पर बिठाकर वहां से चल पड़ती है
गाय को बच्चों के साथ आता देख उल्लू भी खुश हो जाता है
और यह सब मिलकर अपनी मिठाई की दुकान के आगे आकर बैठ जाते हैंगाय मां थक्कर दुकान के आगे बैठ जाती है उल्लू इमली के पेड़ पर उड़ कर बैठ जाता है यह दोनों कुत्ते के पिल्ले अपने खाने के बर्तन में खाना ढूंढने लगते हैं
खाना ना मिलने पर इधर-उधर खाना खाते हैं और कूद कूद कर खेलने लगते हैंदूसरे दिन बिल्लियां वहां फिर आती है
बिल्लियों को देखकर कुत्ते के पिल्ले शोर मचाना शुरू कर देते हैं उन्हें शोर मचाते देख गायमां भी वहां आ जाती है गायमां को अपनी तरफ आते देख दोनों बिल्लियां डर जाती हैं और भागकर एक सामने वाली दूसरी मिठाई की दुकान में घुस जाती है
वहां कढ़ाई में दूध होता है दोनों बिल्लियां दूध गिरा देती है दुकान के नौकर डंडा लेकर बिल्लियों को खूब मारते हैं इधर से दोनों कुत्ते गाय और उल्लू भी बिल्लियों के पीछे पड़ जाते हैं यह सब दोनों बिल्लियों को रोड तक दौड़ा कर आते हैंदोनों कुत्ते के