अरुण देव

4241 Words
क्या तुम्हारे रोने से तुम ताकतवर बन सकते हो जब आदित्य ने फिर से वही आवाज सुनी तो वह चौक गया और अपने बिस्तर पर अपनी पुरी ताकत से बैठ गया और फिर डरते हुए पूछा क्या मैं जान सकता हूं आप कौन हैं और आप मेरे कमरे में क्या कर रहे हैं मैंने कभी आपकी आवाज कबीले में नहीं सुनी और क्या आप मेरे सामने आ सकते हैं। कुछ देर तक कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई जिसे देखकर आदित्य ने अपने आप को शांत किया तभी वह आदमी फिर से बोला सच कहूं तो मुझे अपने कमरे में तुम ही लेकर आए हो और अब बोलने का साहस करते हो कि मैं तुम्हारे कमरे में क्या कर रहा हूं और रही बात मेरे सामने आने की तो मैं तुम्हारे पास ही हूं हालांकि मैं बाहर नहीं आ सकता अगर तुम मुझे देखना चाहते हो तो तुम्हें खुद मेरे पास आना होंगा यह सुनते ही आदित्य और भी डर जाता है और डरते हुए बोलता है बुजुर्ग आपसे कुछ गलती हो गई है मैंने आपको अपने कमरे में कब आमंत्रित किया। तभी वह आदमी बोलता है 15 दिन पहले तुमने ही मुझे व्यक्तिगत रुप से कमरे में आमंत्रित किया पर छोड़ो अगर तुम मुझसे मिलना चाहते हो तो अपने पास रखें डिब्बे को खोलो जब आदित्य यह सुनता है तो वह तुरंत उस डिब्बे की ओर देखता है जिसे देखकर उसे याद आता है कि डिब्बे में तो वह जंग लगा चेन है जो उसे झरने के पास से मिला था तभी उसे कुछ समझ आता है और वह डिब्बे को खोलने के लिए तैयार हो जाता है और जैसे ही वह डिब्बे को खोलता है तो वह देखता है कि डिब्बी में रखा चेन जिस पर लटक रही छोटी तलवार अचानक से चमकने लगी है जिसे देखकर वह और भी बुरी तरह डर जाता है और उसे अपने से दूर कर पिछे हटने की कोशिश करता है हालांकि उसके शरीर में पिछे हटने की ताकत भी नहीं होती है जिससे कि वह अपने आपको पीछे कर सके तभी वह आवाज सुनाई देती है छोटे लड़के तुम्हें डरने की कोई जरुरत नहीं है मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुचाने वाला अगर तुम ऐसे ही ताकत लगाकर पीछे हटने की कोशिश करते रहोगे तो तुम और भी घायल हो जाओगे यह सुनकर आदित्य अपने आप को शांत करने कि कोशिश करता है। और फिर बोलता है तो मैं आपको कैसे देख सकता हूं तभी आवाज आती है ठीक है ठीक है यदि तुम वास्तव में मुझे देखना चाहते हो तो इस तलवार में अपने आध्यात्मिक शरीर को डालो यह सुनकर आदित्य कुछ देर सोचने लगता है वह सोचता है कि शरीर में शक्तियां केवल शक्ति कोर में होती है इसलिए शक्ति सभी अभ्यास कर्ता के पास हो यह आवश्यक नहीं है हालांकि आध्यात्मिक शक्ति आत्मा में उपस्थित होती है इसलिए यह शक्ति सभी लोगों में उपस्थित होती है आध्यात्मिक शरीर वास्तव में आत्मा कि शक्ति का सिर्फ एक हिस्सा होता है इसलिए यदि मैं अपना आध्यात्मिक शरीर में इस तलवार में भेज देता हूं और वह व्यक्ति उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो मैं सिर्फ कुछ घायल हो सकता हूं पर इससे मेरी मौत तो नहीं होगी। यह सोचकर वह अपना आध्यात्मिक शरीर तलवार में भेज देता है जैसे ही आदित्य का आध्यात्मिक शरीर तलवार के पास जाता है तलवार से एक चमक उत्सर्जित होती है और आदित्य का आध्यात्मिक शरीर तलवार में चला जाता है। जैसे ही आदित्य तलवार में जाता है वह देखता है कि तलवार में एक अलग ही दुनिया होती है इस दुनिया में एक छोटा सा महल होता है तभी आदित्य को एक आवाज सुनाई देती है छोटे लड़के तुम महल में आ जाओ ये सुनकर आदित्य महल में चला जाता है। जैसे ही वह अन्दर जाता है वह देखता है कि महल के एक बड़े होल में एक ऊंचा मंच बना होता है जिस पर एक बुजुर्ग आदमी बैठा होता है जब आदित्य उसे देखता है तो वह आश्चर्य से एक आह भरता है उसके सामने बैठा बुजुर्ग आदमी वास्तव में एक आत्मा होती है। तभी वह बुजुर्ग आदमी बोलता है लड़के तुम हैरान क्यों हो आखिर तुम यहां अपने शरीर के साथ नहीं आ सकते हो तो भला मैं कैसे हो सकता हूं जिन्दा यह सुनकर आदित्य फिर से होश में आता है और बोलता है। क्या मैं जान सकता हूं कि आप कौन हैं और इस दुनिया में कैसे हैं। तुम्हारा नाम आदित्य है ना मेरा नाम त्रिमूर्ति है । इसके अलावा मुझे चिलान में अरुण देव के नाम से जाना जाता है लड़के मेरा यहां होना कोई आश्चर्य नहीं है क्योंकि इस दुनिया को वास्तव में मेने ही बनाया है। जब आदित्य ने यह सुना तो वह आश्चर्यचकित अभिव्यक्ति व्यक्त करने से नहीं रोक सका एक अलग दुनिया बनाने में सक्षम होने के लिए आखिर जब बुजुर्ग आदमी जीवित थे तब वह किस रैंक के योद्धा हुआ़ करते थे। जब बुजुर्ग आदमी आदित्य को कुछ सोचते हुए देखता है तो वह बोलता है। जब मैं जीवित था तो पुरे चिलान में मेरी अपनी एक प्रतिष्ठा थी और सच कहूं तो तुम मुझे चिलान के काबिल लोगों में से एक कह सकते हो। जब आदित्य ने यह सुना तो वह इस पर विश्वास नहीं कर सका वह सोच रहा था कि बुजुर्ग बढ़ा चढ़ा कर अपने आप को दिखा रहे हैं पर फिर भी आदित्य ने कुछ भी नहीं बोला ऐसा इसलिए भी था क्योंकि आदित्य बुजुर्ग से एक शक्तिशाली दबाव महसूस कर रहा था जो उसने पहले कभी भी महसूस नहीं किया था। तभी बुजुर्ग बोलता है लड़के में तुम्हें पिछले 15 दिनो से कठिन प्रशिक्षण लेते हुए देख रहा हूं क्या तुम्हें डर नहीं कि ऐसा करने से तुम्हें चोट पहुंच सकती है और आकाश ने तुम्हारे भाग्य में मौत निश्चित कर दी चलो अब इस बात को भुल जाओ और क्या तुम मेरे शिष्य बनना चाहोगे मरने से पहले मेरा कोई शिष्य नहीं था क्योंकि मैंने कभी भी किसी शिष्य को स्वीकार नहीं किया क्योंकि मैं चिलान में घूमने और अपने ज्ञान को बढ़ाने में लगा था। पर मरने के बाद जब मैं आत्मा बनकर यहां आया तो मुझे समझ आया कि किसी शिष्य के बिना अपने ज्ञान को अपने तक सीमित रहना पड़ता है। और यदि मैं दुनिया से चला जाता हूं तो मैंरा ज्ञान भी मेरे साथ खत्म हो जायेगा। किस्मत ने मुझे तुमसे मिलाकर मुझे यह मौका दिया है। तो क्या तुम मेरे शिष्य बनना चाहते हो। जब आदित्य यह सुनता है तो वह कुछ नहीं बोलता है उसे उम्मीद नहीं थी कि यह बुजुर्ग उसे अपने शिष्य के रूप में स्वीकार करना चाहता है। पर कुछ देर बाद आदित्य अपना मुंह खोलता है और बोलता है। बुजुर्ग कृपया मुझे माफ़ कर दें में एक बेकार व्यक्ति हुं जो कभी साधना नहीं कर पायेंगा आप मुझ पर अपना कीमती समय बर्बाद नहीं करें । जब अरुण देव ने यह सुना तो वह जोर जोर से हंसने लगा यह देखकर आदित्य कुछ नाराज हो गया तभी अरुण देव आदित्य से बोलते हैं मुझे पता है कि तुम अपने शक्ति कोर को स्थिर नहीं कर पाये हो पर ऐसा नहीं है कि तुम कभी साधना नहीं कर सकते हो ये बस इतना है कि तुम अभी ज्यादा कुछ नहीं जानते हो इस ठीक किया जा सकता है जब आदित्य ने यह सुना तो वह बहुत खुश हो गया और बोला क्या सच में यह ठीक हो सकता है। आदित्य कि खुशी देखकर अरुण देव बोलते हैं हां ये कोई बड़ी बात नहीं है। पर तुमने मुझे बताया नहीं क्या तुम मेरे शिष्य बनना चाहोगे यह सुनकर आदित्य कुछ देर सोचने के बाद हां मैं अपना सिर हिला देता है जिसे देखकर वह आदमी बोलता है तो ठीक है अब तुम यहां से जा सकते हो कल सुबह से तुम्हारा प्रशिक्षण शुरू करुंगा तुम्हें इसके लिए तैयार रहना जब आदित्य यह सुनता है तो वह तुरंत बोलता है बुजुर्ग मेरा शरीर अभी घायल हैं तो हम प्रशिक्षण कुछ समय बाद शुरू कर सकते हैं तभी वह बुजुर्ग बोलता है तुम इसके बारे में चिंता मत करो कल में तुम्हें सभी जानकारी दुंगा तुम मुझे अब से शिक्षक कहकर संबोधित करो। और अब यहा से जाओ अभी मुझे आराम करने दो। यह सुनकर आदित्य अपने आध्यात्मिक शरीर को तलवार से बाहर निकाल लेता है। और बाहर आकर कुछ देर तक अभी घटित हुए दृष्य़ के बारे में सोचकर फिर से आराम करने लगता है। चुकी वह पहले बुरी तरह घायल हो गया था इसलिए वह अभी कहीं भी जाने में सक्षम नहीं था। अगले दिन सुबह आदित्य जल्दी से उठकर अपने आप को प्रशिक्षण के लिए तैयार करने लगता है हालांकि आदित्य घायल हो गया था पर आठ दिनो तक आराम करने से वह ठीक होने लगता है उसे अभी भी चलने में समस्या आ रही थी। इस तरह अपने आप को तैयार करने में आदित्य को दोपहर हो गई जब आदित्य पुरी तरह तैयार है गया तब वह अपने कमरे में बिस्तर पर बैठ गया और फिर अपने आध्यात्मिक शरीर को तलवार में भेज दिया जब वह अन्दर पहुंचा तो उसने देखा कि वहां शिक्षक अरुण देव अपने साधना मुद्रा में बैठे थे तभी अरुण देव ने कहा। तो तुम आ गए हों मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था।‌ तो आज से तुम्हारे प्रशिक्षण की शुरुआत करुंगा। तुम्हारा प्रशिक्षण शुरू करने से पहले हमें तुम्हारे शक्ति कोर को स्थिर करना होगा। मैं देख सकता हूं कि तुम्हारा शक्ति कोर अपने निर्माण के समय असावधानी के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है। जब आदित्य यह सुनता है तो वह तुरंत बोलता है। तो शिक्षक क्या आप बता सकते हैं कि इस समस्या को हल कैसे करें। छोटे लड़के तुम इतनी जल्दी में क्यों हो। इसको ठीक करने के दो तरीके हैं एक तरीका तो तुम्हारे शक्ति कोर को पूरा नष्ट कर फिर से निर्मित करके करना है और दुसरा तरीका औषधिय गोली की सहायता से हालांकि दुसरा तरीका प्रभावी है पर जब तुम्हारा शक्ति स्तर निर्वाना क्षेत्र के चरम‌ तक बढ़ जायेगा। उस वक्त तुम्हें इसे आगे बढ़ाने में असमर्थता महसूस होगी। यह सुनकर आदित्य बोलता है तो शिक्षक मेरे लिए आप कौनसे तरीके का चुनाव करेंगे। यह सुनकर अरुण देव बोलता है। मैंने तुम्हारे लिए औषधियों कि सहायता लेने का निश्चय किया है। जब आदित्य ने यह सुना तो वह कुछ सोचने लगा उसे नहीं पता था कि उसके शिक्षक ने यह तरीका क्यों चुना आखिरकार उसका वर्तमान लक्ष्य 4 साल बाद होने वाले मुकाबले में सिया को हराना था इसलिए शक्तियों को बढ़ाने में समर्थ होना पहले से ही बहुत ज्यादा था इसलिए वह बिना झिझके बोला ठीक है शिक्षक मैं तैयार हूं तो अब मुझे क्या करना है। जब अरुण देव यह सुनता है तो वह स्तब्ध रह जाता है उसने कभी नहीं सोचा था कि आदित्य इस तरह तैयार हो जायेगा। पर जब उन्हें याद आता है कि वास्तव में आदित्य को अपनी शक्तियों को बढ़ाने में मदद मिल रही है यह पहले ही उसके लिए एक अच्छी बात है। जब यह ख्याल आता है तो अरुण देव जोर से हंसने लगते हैं यह देखकर आदित्य को कुछ भी समझ नहीं आता है और वह आश्चर्य के साथ उस बुढ़ी आत्मा को देखता है। आदित्य को आश्चर्यचकित देखकर अरुण देव बोलते हैं छोटे लड़के आखिर तुम ऐसा कैसे सोच सकते हो। मैंने यह तरीका इसलिए चुना क्योंकि अभी तुम्हारा शरीर बहुत कमजोर है। और शक्ति कोर के पुनः निर्माण में होने वाले ख़तरे को सहन करने में सक्षम नहीं है परन्तु तुम्हें चिन्ता करने कि आवश्यकता नहीं है। समय आने पर मैं तुम्हारी मदद करूंगा। यह बोलकर वें अपना दाहिना हाथ हिलाते हैं जिससे एक सफेद चमक निकलती है। जब आदित्य ध्यान से देखता है तो उसे उस हाथ में एक लाल स्क्रोल दिखाई देता है तभी अरुण देव बोलते हैं। तुम्हें यह औषधियां हासिल करनी होगी। जब आदित्य यह सुनता है तो वह आगे आकर स्क्रोल को लेता है। तभी अरुण देव बोलते हैं अभी तुम्हें जाकर ये औषधियां इकठ्ठा करनी होगी जब यह सभी औषधियां तुम्हारे पास इकठ्ठा हो जायें तो तुम मेरे पास आ सकते हो। और तुम्हें ध्यान रखना होगा कि मेरे अस्तित्व के बारे में कोई भी जानकारी बाहर नहीं आये । यह सुनकर आदित्य हां मैं अपना सिर हिला देता है और अब आदित्य अपने शिक्षक को अभिवादन देने के बाद बाहर आ जाता है। और बाहर आकर जब वह अपने हाथ में रखे स्क्रोल को देखता है तो वह और भी हैरान हो जाता है क्योंकि स्क्रोल में लिखा हुआ प्रत्येक औषधिय घटक वास्तव में बाहरी दुनिया में बहुत कम कीमत में हासिल किया जा सकता है और अधिकतर औषधियां कचरे के रूप में स्वीकार कि जाती थी। आदित्य ने उम्मीद की थी कि उसे औषधियां हासिल करने के लिए एक अच्छी कीमत चुकानी पड़ेगी पर ऐसा नहीं था। इसलिए उसे अरुण देव पर शक होने लगा कि क्या वह बुजुर्ग वास्तव में कुछ जानते हैं या वे मेरा वक्त बर्बाद कर रहे हैं। पर कुछ देर सोचने के बाद वह इन औषधियों को हासिल करने के लिए तैयार हो जाता है क्योंकि वह अगर ऐसा नहीं करता है तो भी वह कुछ करने में सक्षम नहीं होगा। अगले दिन सुबह आदित्य जल्दी ही घर से निकल गया और उसके साथ नंदिनी भी चली गई क्योंकि आदित्य अभी पुरी तरह ठीक नहीं हुआ था। वो तो यदि वह जिद नहीं करता तो महेंद्र इसके लिए कभी तैयार नहीं होते फिर भी महेंद्र ने नंदिनी और कुछ योद्धाओं को उसके साथ भेज दिया। आदित्य कुछ देर चलने के बाद एक औषधिय दुकान के सामने पहुंच गया भले ही उसे कबीले में बहुत सी औषधियां मिल गई थी पर कुछ औषधियों को इकट्ठा करने के लिए उसे बाहर आना पड़ा। उसके बाद वह औषधियां आदित्य को दुकान में कुछ देर ढुढने के बाद मिल गई जिसे स्क्रोल में लिखी गई मात्रा में खरीदने के बाद वह नंदिनी और अपने साथियों के बाद कबीले में लोट आया। योद्धाओं कि मदद से उसे वापस लौटने में कोई समस्या नहीं हुई । कबीले में वापस लौटने के बाद आदित्य सीधा तलवार कि दुनिया में नहीं जाता है इसके बजाय वह महेंद्र और नंदिनी के साथ समय बिताता है आदित्य को शांत देखकर महेंद्र और नंदिनी को आश्चर्य होता है हालांकि वे इससे बहुत खुश भी होते हैं रात में आदित्य अपने कमरे में आता है और चारों ओर देखकर अपने गले में लटके चैन कि और देखता है और फिर आध्यात्मिक शरीर कि सहायता से तलवार में चला जाता है। वह जैसे ही अरुण देव के पास जाता है। तो वह अपने हाथ में रखी औषधियां अरुण देव को‌ देता है।‌ जिसे देखकर अरुण देव बोलते हैं। में तुम्हें आज औषधियां को गोली में परिष्कृत करने का शुरुआती चरण सिखाउंगा। तभी आदित्य सोचता है कि चिलान में औषधियों को गोली में परिष्कृत करने का काम हकीम के द्वारा किया जाता है। चिलान में हकीम के तीन स्तर होते हैं पहला मानवीय और दुसरा आत्मीय और फिर दैवीय हकीम जिसे दिव्य वैध भी कहा जाता है। मानवीय हकीम नौ रैंक तक आगे बढ़ने के बाद आत्मीय हकीम के स्तर पर आधिकारिक रूप से माने जाते हैं और फिर आत्मीय स्तर पर तीन रैंक होते हैं जागृति, आत्मा और ईश्वर एक बार जब किसी कि आध्यात्मिक शक्ति आत्मीय रैंक के ईश्वर लैवल‌ तक बढ़ जाती है तो वह दिव्य वैध बन जाता है हकीमी के इस स्तर तक पिछले हजारों सालों से कोई नहीं पहुंचा है। तभी आदित्य को एक आवाज सुनाई देती है। आदित्य तुम्हें जानना चाहिए कि किसी भी हकीम के लिए गोली परिष्कृत करने में दो आवश्यक सामग्री होती है पहली आवश्यक आध्यात्मिक शक्ति और एक प्रकार की आग आत्मीयता वाली ज्योती चिलान में आग आत्मीयता वाली ज्योती के तीन प्रकार हैं मानवीय ज्योती,अलोकिक जानवर ज्योती, और दिव्य अमर ज्योति, मानवीय ज्योती किसी भी हकीम के द्वारा अपनी शक्तियों को आध्यात्मिक शक्ति से मिलाकर तैयार कि जाती है ये ज्योती शुरुआती हकीम के लिए सबसे उपयुक्त है। इसकी शक्ति हकीम की आध्यात्मिक शक्ति पर निर्भर करती है किसी की आध्यात्मिक शक्ति ही आग को अपनी शक्ति प्रदर्शित करने में सक्षम बनाती है इसके बाद अलोकिक जानवर ज्योती है ये ज्योती एक जानवर में अपने आत्मिक सार के रूप में पायीं जाती है। यह जानवर के रैंक के अनुसार शक्तिशाली होती है और फिर आतीं हैं दिव्य अमर ज्योति इस ज्योति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार प्राचीन काल में आकाश से कुछ आत्मा सार दुनिया में गिरें और समय के साथ अलग अलग आत्मीयता और प्रकृति कि ज्योती मैं विकसित हो गई। आकाश से गिरने वाले आत्मा सार इतने शक्तिशाली थे उस समय यक्ष रैंक के योद्धा कि शक्ति भी उस सार की उर्जा की बराबरी नहीं कर सकती थी । इसलिए दिव्य अमर ज्योति की शक्ति और दिव्य आग के रूप में प्रतिष्ठा निर्विवाद है दिव्य अमर ज्योति की अत्यधिक शक्ति का कोई मालिक नहीं है और ना ही उनमें अपनी कोई मानवीय समझ इसलिए ये किसी के द्वारा परिष्कृत की जा सकती है जिससे परिष्कृत करने वाले की शक्ति का स्तर बहुत तेजी से बढ़ जाता है लेकिन इस तरह की दिव्य आग को काबु करना बहुत ही खतरनाक है और इसमें पुरी तरह नष्ट होना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि दिव्य अमर ज्योति एक आग आत्मीयता है इसलिए एक हकीम के लिए सामान्य व्यक्ति से अत्यधिक पुजनीय है। चिलान में दिव्य अमर ज्योति की संख्या 34 है। जिनके रैंक उनकी प्रकृति और शक्ति अनुसार विभाजित किये गये है। यह सुनकर आदित्य हैरान रह जाता है आखिरकार उसने कभी भी नहीं सोचा था कि इस दुनिया में इतनी शक्तिशाली शक्तियां भी मोजूद हो सकती है। तभी अरुण देव बोलते हैं। आदित्य में तुम्हें समय आने पर इनमें से एक को हासिल करने में मदद करने कि कोशिश करुंगा। हालांकि तुम्हें सबसे पहले अपनी शक्तियों को बढ़ाने में अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उसके बाद अरुण देव अपने हाथ को हिलाकर उसमें एक पात्र को बाहर निकाल देते हैं। तभी आदित्य बोलता है। शिक्षक ये क्या हैं। तभी अरुण देव बोलते हैं गन्दे लड़के तुम चिंता क्यों करते हो मैं तुम्हें सभी जानकारी दुंगा जो में जानता हूं। यह सुनकर आदित्य शान्त हो जाता है और ध्यान से बुजुर्ग को देखने लगता है। तभी अरुण देव बोलते हैं। इसे फर्निश कहते हैं। ये गोली बनाने में सहायक है। तभी आदित्य बोलता है तो क्या इनके भी रैंक होते हैं। हां फर्निश भी रैंक में बांटें गये है सामान्य फर्निश सात रैंको में बंटे हुए हैं कुछ फर्निश में स्वयं कि असाधारण शैली रखते हैं इन फर्निश कों जादुई फर्निश कहते हैं। और कुछ दिव्य फर्निश भी होते हैं जो गोली के परिष्करण की अवधि और संभावना को बढ़ा देते है। इस तरह के फर्निश चिलान में प्राचीन काल से सिर्फ 8 है जिनके रैंक दिव्य ज्योति के समान ही बांटें गये है। यह बोलकर वह अपने सामने रखें। फर्निश में अपने हाथ को हिलाकर एक ज्योति जलाते हैं। इसके जलते ही आदित्य के आस -पास की नमी तुरंत ही वाष्पित हो गई और उसे एक तेज गर्मी का अहसास हुआ। गर्मी के कारण आदित्य का चेहरा लाल हो जाता है और उसके चेहरे से पसीने की बुंदे टपकने लगीं तभी आदित्य बोलता है। आचार्य क्या ये एक ज्योति है और ये कौनसी ज्योति है तभी अरुण देव बोलता है। ये एक मानवीय ज्योति है। मैरी मानवीय की शक्ति का स्तर तुम 9 वे स्तर पर कह सकते हो। जब मैं जीवित था उस वक्त मेरी यह ज्योति दिव्य चरण के 7वें स्तर पर थी। पर क्योंकि बिना शरीर और ताकतवर आध्यात्मिक शक्ति के इसका स्तर भी कम हो गया है। फिर भी इससे तुम एक उत्पत्ति राजा क्षेत्र के योद्धा से टकरा सकतें हो। उसके बाद आचार्य अपने सामने रखें सभी औषधिय तत्वों को उस फर्निश में डाल देते हैं। उसके बाद आदित्य कि आश्चर्य से भरी आंखों के सामने सभी औषधियां पाउडर और तरल में परिवर्तित हो गई। उसके बाद अरुण देव के निरीक्षण में आपस में मिलने लगी आदित्य सभी चरणों को ध्यानपूर्वक अध्ययन करता गया। कुछ देर बाद सभी औषधिय तरल और पाउडर एक में विलीन हो गये और एक छोटे गोले में संघनित होने लगें कुछ देर सोधन प्रक्रिया के बाद फर्निश में एक गोल और लाल गोली दिखाई दी इस गोली को देखकर अरुण देव ने उसे ज हांथ में उठाकर आदित्य को देते हुए कहा लड़के यह गोली मानवीय रैंक दो की है इसका नाम बीज रक्षित गोली है सामान्यतः यह गोली किसी के शक्ति कोर में सुधार करने का प्रभाव रखती है। तभी आदित्य बोलता है आचार्य चुकी यह गोली मानवीय रैंक दो की है तो फिर कबीले के हकीम ने कभी इसका जिक्र क्यों नहीं किया आखिर वे इससे मेरी मदद कर सकते थे। क्या तुम्हें लगता है कि कोई भी औषधिय गोली के लिए औषधियां और हकीम की जानकारी काफी है। अगर तुम्हारे पास गोली परिष्कृत करने में सहायक सभी तत्व मौजूद हैं। फिर भी तुम्हारे पास गोली सौधन विधिका होना उतना ही जरूरी है जितना कि औषधियां भले ही तुम अपनी कुशलता से कोई गोली बिना विधी की सहायता से बना लो इसमें लगने वाले समय और पुंजी निश्चित रूप से असहनीय होगी इसके अलावा तुम्हारे पास हकीम का एक लंबा अनुभव भी होना आवश्यक है इसलिए भले ही तुम्हारे कबीले का हकीम इसे बना सके निश्चित रूप से उसके पास कोई विधि सम्बंधित जानकारी नहीं है। और ये बीज रक्षित गोली मेने गलती से बना दिया था जब मैं अपने गुरु से हकीम के गुर सिख रहा था। इसके अलावा ये विधि मेरे गोली विधियों में कचरे के स्थान पर रखी गई थी। हालांकि इसको मैंने पहली बार बनाया इसलिए मेरे पास है। हालांकि अभी तुम्हें अपनी गोली को अवशोषित करने पर ध्यान देना चाहिए। निश्चित रूप से तुम्हें समय आने पर पता चल जाएगा। यह सुनकर आदित्य तुरंत अपने हाथ में रखी गोली को ध्यान से देखने लगा और कुछ देर सोचने के बाद उसे अपने मुंह में रख लिया जैसे ही गोली आदित्य के गले से नीचे उतरी एक औषधीय गुणों वाली शक्ति भी आदित्य के शरीर में फ़ैल गई कुछ देर बाद धीरे-धीरे ये शक्ति आदित्य के ध्यान में शक्ति कोर कि तरफ बढ़ी और शक्ति कोर के चारों ओर लिपट गई जैसे ही औषधिय शक्ति शक्ति कोर से टकराई आदित्य को अपने शरीर में एक तेज दर्द महसूस होने लगा। तभी आदित्य को होश आया वह पहले तो डर गया फिर उसे समझ आया कि कुछ भी ग़लत नहीं है ये सिर्फ एक दर्द है आदित्य दांत कसकर बोला क्या आचार्य ने इसके बारे में बताना आवश्यक नहीं समझा। फिर भी चुकि वह आगे बढ़ चुका था अभी उसे सहन करना पड़ेगा। कुछ देर तक दर्द सहन करने के बाद दर्द कम हुआ पिछले 4 वर्षो में हुई घटनाएं को याद करते हुए आदित्य ने जब गोली के प्रभाव को याद करते हुए। आदित्य अपने आप को उत्साहित महसूस करने से बच नहीं सका। आदित्य ने धीरे-धीरे गोली के औषधीय गुणों को अवशोषित करने की प्रक्रिया जारी रखी लगभग 4 घंटे बाद आदित्य ने अपनी कसकर बंद आंखों को खोल दिया। जैसे ही उसने अपनी आंखें खोली उसके मुंह से अचानक काले खून की कुछ बूंदें निकल गई। जैसे ही आदित्य ने अपने मुंह पर लगें। खुन को पोंछा वह यह जानकर हैरानी में आह भरने लगा कि उसका शक्ति कोर स्थिर हो गया है तभी उसके मुंह पर जो दर्द के कारण थकीं हुईं अभिव्यक्ति थी बदल गई और उसकी जगह एक खुश और संतुष्ट अभिव्यक्ति आ गई। तभी पास में बैठे अरुण देव ने मुस्कुराते हुए कहा छोटे लड़के सच कहूं तो अभी तुम्हारा शक्ति कोर स्थिर हुआ़ है हालांकि अभी ये काफी नहीं है जैसा कि मैंने पहले कहा था कि औषधिय गुणों की सहायता प्रभावी है पर सिर्फ एक सीमा तक और रही बात तुम्हारे साधना स्तर को बढ़ाने की तो ये अभी भी संभव नहीं है 4 वर्षो तक इस स्तिथि में रहने के बाद इतनी आसानी से कैसे ठीक किया जा सकता है। तभी आदित्य मुस्कुराते हुए अपने सामने बैठी बुजुर्ग आत्मा को देखते हुए बोला धन्यवाद शिक्षक मैं समझता हूं हालांकि मुझे 4 वर्ष बाद मुकाबले में अपनी मंगेतर सिया को हराना है। मैंने तुम्हारे दादा को बात करते हुए सुना ‌। ये नामुमकिन नहीं है पर आसान नहीं होगा। इसके लिए तुम्हें सामान्य से अधिक करना होगा। यह सुनकर आदित्य तुरन्त अपने घुटनों पर बैठ गया और बोला शिक्षक मैं निश्चित रूप से आपको निराश नहीं करूंगा ठीक है ठीक है उसके बाद अरुण देव ने एक और स्क्रोल निकाल कर आदित्य को देते हुए कहा तुम्हें इन्हें इकट्ठा करना चाहिए। आदित्य ने वह स्क्रोल ले लिया। और उसे अपने पास रखने लगा। तभी अरुण देव बोलते हुए मुस्कुराएं क्या तुम एक बार देखना नहीं चाहते कि उसमें क्या है। जब आदित्य ने यह सुना तो वह तुरंत अपने हाथों को रोकते हुए उसे खोलकर देखा जैसे ही आदित्य ने स्क्रोल में लिखी सामग्री के नाम को देखा तो वह तुरंत दयनीय स्थिति में चला गया वह समझ नहीं पा रहा था कि अब वह क्या बोले उसने कभी उम्मीद नहीं की थी कि उसमें लिखी सामग्री इतनी कीमत वालीं होगी। क्या। आदित्य परेशान होते हुए बोला अरूण देव ने हंसते हुए कहा मैंने पहले कहा था ये आसान नहीं होगा उसके बाद आदित्य ने कहा शिक्षक मैंरा कबीला इस औषधिय सामग्रियो को खरीदने में सक्षम हो। पर मेरे लिए इतनी कीमत खर्च करना कैसे संभव है। तभी अरुण देव बोले मुझे पता है इसलिए मैं तुम्हारे लिए कुछ बीज रक्षित गोलियो को तैयार कर दुंगा पर ऐसा तभी तक जब तक तुम कुछ सक्षम नहीं हो जाते ये बोलकर अपने सामने रखें औषधिय सामग्रियो को अपने हाथों में लेकर उन्हें अपनी मानवीय ज्योति से तुरंत कुछ गोलियो में परिष्कृत कर दिया ऐसा करने के बाद उन्हें आदित्य कि और फेंकते हुए बोले ये काफी हो सकते हैं
Free reading for new users
Scan code to download app
Facebookexpand_more
  • author-avatar
    Writer
  • chap_listContents
  • likeADD