कब्रिस्तान की कहानी
कब्रिस्तान की कहानी
मनोहर का घर पुराने कब्रिस्तान के पीछे था और उसके घर के छत से वह कब्रिस्तान अच्छे से दीखता था। वह रोज उस कब्रिस्तान को पार करके ही अपने काम पर जाता था। मनोहर के दो बच्चे थे और दोनों बच्चे बड़े ही सैतान थे बड़े बेटे का नाम रॉकी और छोटे बेटे का नाम विकी था।
एक बार गर्मी की छुट्टियों में रॉकी और विकी की बहन सोनिया भी आयी हुयी थी। तीनो मिलकर रात के लगभग 12 बजे एक रूम में Truth और Dare खेल रहे थे। रॉकी सोनिया से पूछता है की तुम Truth लोगी या Dare, सोनिया Dare लेती है और पूछी है की तुम लोग कुछ खतरनाक करने के लिए तो नहीं कहोगे ना।
रॉकी – ये हुयी ना बात, तो जाओ अब छत पर से घूम करके आओ और छत पर रखे गमले में से फूल तोड़कर लाना होगा तभी हमें पता चलेगा की तुम छत पर से आयी हो।
सोनिया – छत पर से तो कब्रिस्तान दीखता है.. नहीं मै नहीं जाउंगी।
रॉकी और विकी दोनों सोनिया को छत पर जाने के लिए जबरदस्ती बोलते है। सोनिया छत पर जाती है और जैसे ही गमले में लगे फूल की तरफ बढ़ती है तभी उसकी नजर कब्रिस्तान की ओर पड़ती है।
कब्रिस्तान में एक बड़ा सा सूखा पेड़ होता है वह देखती है की उस पेड़ पर एक सर कटी हुयी उलटी लाश लटक रही होती है। सोनिया उसे देखती है और जोर से चिल्लाती हुयी बेहोश हो जाती है। फिर जब सोनिया बहुत देर तक छत पर से नहीं लौटती है तो रॉकी और विकी दोनों डर जाते है और वह छत पर जा करके देखते है तो पाते है की सोनिया बेहोश पड़ी है वो तुरंत मनोहर को बुलाते है और सारी बात बताते है।
मनोहर – तुम तीनो को ऐसा खेल खेलने की जरुरत क्या थी और रॉकी तुम तो जानते हो उस कब्रिस्तान के बारे में कैसी-कैसी खबरे आती है फिर भी तुम सोनिया को रात में छत पर जाने के लिए क्यों भेजा।
रॉकी – Sorry Dad मुझसे गलती हो गयी हम आगे से ऐसा नहीं करेंगे।
मनोहर – और फिर कभी दुबारा ऐसा काम किया तो तुम दोनों को उसी कब्रिस्तान में छोड़ आऊंगा। अच्छा सोनिया बेटी ये बताओ तुम ने वहा ऐसा क्या देख लिया था की तुम वही बेहोश हो गयी।
सोनिया सहमी हुयी हालत में मनोहर को सारी बात बताती है की उसने क्या देखा मनोहर ने उस कब्रिस्तान के बारे में ऐसी खबरे पहले भी सुनी हुयी थी इसलिए वह सोनिया को डाटता नहीं है और बच्चो को संभलकर रहने की सलाह देता है। एक दिन मनोहर को काम से छुट्टी मिलने में देर हो जाती है और उस दिन उसे Auto भी नहीं मिलता है वह पैदल ही घर की ओर चल पड़ता है। इधर विकी और रॉकी दोनों आपस में बात करते है।
रॉकी – विकी तुम्हे क्या लगता है सोनिया ने जो कहा वो सच है.. मुझे तो लगता है की वो सिर्फ बाते बना रही है वो उसका भ्रम होगा।
विकी – अरे नहीं भाई तुमने उसकी हालत देखी नहीं एक दिन भी और यहाँ रुकने को तैयार नहीं हुयी मुझे लगता है की उसने सच में कुछ देखा होगा।
रॉकी – चलो हम कब्रिस्तान में जाकर खुद ही देख लेते है।
विकी – अरे भाई तुम पागल तो नहीं हो गए हो, मुझे अपनी जान बहुत प्यारी है मै कही नहीं जाऊंगा और तुम भी मत जाओ।
विकी के मना करने के बावजूद रॉकी नहीं मानता है और वह अकेले ही कब्रिस्तान की ओर चल देता है कब्रिस्तान का दरवाजा खोलता है और अंदर चला जाता है। वह उस पेड़ की ओर भी देखता है जिस पर सोनिया को सर कटी हुयी उलटी लाश दिखी थी। रॉकी खड़े होकर उस पेड़ की ओर देखता है तभी एक अदृश्य हाथ उसके पैरो को पकड़ लेता है रॉकी डर जाता है और जोरो से चिल्लाने लगता है (बचाओ.. बचाओ.. छोड़ दो मुझे मुझसे गलती हो गयी मै फिर कभी यहाँ दुबारा नहीं आऊंगा)
दूसरे कोने पर एक कब्र होती है जो की खुली हुयी होती है उसके ऊपर खून लगा हुआ होता है वह अदृश्य हाथ रॉकी को खींचकर लाते है और उस कब्र में ढ़केलने की कोशिश करने लगते है। रॉकी चिल्लाता है (छोड़ दो छोड़ दो मुझसे गलती हो गयी मै फिर यहाँ कभी नहीं आऊंगा मुझे मत मारो मुझे जाने दो) मनोहर काम से पैदल घर पहुंचने वाला ही होता है जैसे ही वह कब्रिस्तान से गुजरता है उसे रॉकी की आवाज सुनाई देती है।
मनोहर – ये क्या ये तो रॉकी की आवाज लगती है ये तो कब्रिस्तान से आ रही है मुझे जा करके देखना चाहिए।
मनोहर कब्रिस्तान में चारो ओर देखता है लेकिन रॉकी कही नहीं दिखाई देता है। वह घर लौटकर आ जाता है और विकी से पूछता है की रॉकी कहा है।
विकी – पापा मेरे बार-बार मना करने के बावजूद भी रॉकी कब्रिस्तान में चला गया वो जानना चाहता था की सोनिया जो कह रही थी वो सच है या नहीं।
मनोहर – हमारे पास समय बिलकुल भी नहीं है जाओ घर के मंदिर में शंख में जो जल रखा है वो जल्दी से लेकर आओ हमें रॉकी को खोजने कब्रिस्तान जाना पड़ेगा।
विकी वो जल लेकर आता है। मनोहर और विकी कब्रिस्तान में जाते है। मनोहर जल छिड़कता है फिर उसे किसी के घसीटने का निशान दिखाई देता है वह समझ जाता है और फिर उस निशान का पीछा करते हुए उस कब्र तक पहुंच जाता है। मनोहर कब्र के आस पास वो जल छिड़कता है। कब्र से अजीब-अजीब सी आवाजे आती है विकी बहुत डर जाता है।
मनोहर – मुझे लगता है की श्रापित प्रेत आत्माओ ने रॉकी को इस कब्र के अंदर कैद कर लिया है हमें जल्द ही इसे निकलना होगा तुम ये पवित्र जल आस पास छिड़कते रहो इससे हमें वो प्रेत आत्माये कोई नुक्सान नहीं पंहुचा पाएंगी। मै कब्र को खोलने की कोशिश करता हूँ।
मनोहर उस कब्र को खोलने की बहुत कोशिश करता है अंत में वह कब्र खुल जाती है उसके अंदर रॉकी लत पत बेहोश पड़ा होता है मनोहर रॉकी को लेकर हॉस्पिटल जाता है उसकी हालत बहुत गंभीर होती है। उस दिन के बाद मनोहर उस घर को छोड़कर शहर से दूर एक दूसरे घर में अपने पुरे परिवार के साथ रहने चला जाता है।
डेहरा कब्रिस्तान
डेहरा कब्रिस्तान हिंदुस्तान के सबसे हॉन्टेड जगह में से एक हैं कहते हैं कोई भी रात के 11 बजे के बाद उस कब्रिस्तान के आगे से नहीं जा सकता। उसके अंदर से जाना तो दूर की बात हैं कोई उस कब्रिस्तान के आगे से भी नहीं जा सकता।
इस कब्रिस्तान की दीवारे लगभग 1 किलोमीटर तक फैली हुई हैं और कोई भी रात के 11बजे के बाद वहाँ से जाता हैं तो वो जिन्दा नहीं बचता। कहते हैं वहाँ जितनी भी बुरी शक्तियां हैं उनकी वो दीवारे एक सीमा हैं। मतलब कोई भी बुरी शक्ति उस कब्रिस्तान की दीवारों से आगे नहीं जा सकती। अगर कोई भी रात के 11 बजे के बाद वहाँ से जाता हैं तो उस बुरी शक्ति उसे बस उस कब्रिस्तान की सीमा तक ही मर सकती हैं ना तो उसे पहले ना तो उसके बाद।
आज की जो यह कहानी हैं वो डेहरा कब्रिस्तान के पास के ही गाँव में रहने वाले मुकेश जी के साथ घाटित घटना हैं। अब यह कहानी में उन्ही के शब्दों में जारी रखूँगा।
मेरा नाम मुकेश हैं मैं टांगा चलाने वाला हूँ ( टांगा एक प्रकार की गाड़ी जिसमें एक घोड़ा जोड़ा जाता है।) वो रविवार का दिन था शाम के 7बजे थे और मैं अपने घर पर था तभी वहाँ राजू आया। राजू हमारे गाँव का तो नहीं था पर उसे कुछ खेत हमारे ही गाँव में थे जिसके करण वो यहाँ आते रहता था। राजू ने मेरे पास आकर कह की उसकी घाँस उसके खेत में कटी रखी हैं और उसकी घाँस को उसके घर तक झोड़ना था। उसका गाँव हमारे गाँव से लगभग 5 या 6 किलोमीटर की दुरी पर ही होगा। मैंने भी हाँ बोल दिया और यह सोचा की रात के 11 बजे से तो पहले ही आ जाऊंगा।
मैं आ भी जाता पर घाँस लोड करने में काफ़ी समय लग गया था। इसलिए मुझे राजू के गाँव पूंछने में ही 10 बज गए थे और घाँस टांगे से नीचे रखने में भी काफ़ी समय लग गया था। और इसलिए ही वजह से राजू मुझे बार बार अपने ही घर में रुकने को बोल रहा था क्यूंकि उसके गाँव से हमारे गाँव को बस एक रास्ता था जो उस ही डेहरा कब्रिस्तान के आगे से होकर जाता था। एक बार को तो मेरा दिल भी राजू की बात मान जाने को कर रहा था। पर मैं घर नहीं गया तो मेरे घर वाले परेशान हो जाते ना मेरे पास कोई फ़ोन था और ना ही मेरे घर वालो के पास। मेरे घर में मेरे दो छोटे छोटे बच्चे मेरी बीवी और मेरे माता पिता थे मुझे उन सबकी चिंता ने आने पर मजबूर कर दिया था।
और अब मैं उस ही कब्रिस्तान के पास आ गया हूँ मैंने अपनी घाटी में समय देखा रात के 11 बज चुके थे । पहले तो मैंने लौट जाने को सोचा। फिर मैंने किसी तरह हिम्मत करी और आगे बढ़ा। मैं अभी कुछ ही आगे गया था। तभी मुझे ऐसा लगा कोई मेरे टांगे पर आकर बैठ गया हो। मैंने एकदम से पिछे मूड कर देखा पर वहाँ कोई नहीं था। पर मुझे अभी भी यह लग रहा था की कोई मेरे पिछे बैठा हो। फिर जब मैं थोड़ा और आगे बढ़ा तो मेरे टांगे में जैसे वजन बढ़ गया हो। मैं जैसे जैसे आगे बढ़ रहा था टांगे में भी वजन बढ़ते जा रहा था। अब पिछे इतना वजन हो गया था की मेरा टांगा आगे से थोड़ा थोड़ा उठने लगा था और मेरा घोड़ा भी अब लगड़ा लगड़ा कर चल रहा था। मैं अब समझ गया था। की वो इसमें आ गई हैं और अब सायद मैं ना बच पाउँगा। फिर मुझे अपनी मम्मी की बात याद आई उन्होने मुझे बताया था की यह भूत और आत्मा आग से थोड़ा डरते हैं।
तभी मैंने अपने जैब में रखी बीड़ी निकाली और मैं बीड़ी पिने लगा। जैसे ही मेरी एक बीड़ी गत्म होती मैं दूसरी जला लेता ऐसा करते करते मेरे पूरी बीड़ी गत्म हो गई। टांगे मैं इतना वजन हो गया था की टांगा बहुत धिरे धिरे चल रहा था। इसलिए मैं अभी कब्रिस्तान को आधा भी पार नहीं कर पाया था। सर्दी का समय था इसलिए मैंने काफ़ी कपडे पहने थे। जैसे ही मेरी बीड़ी गत्म हुई तो मैंने जो कंबल उठा हुआ था उसे उतार कर मैंने उसमे आग लगा दी और कंबल की आग गत्म होने ही वाली थी तभी मैंने अपना स्वेटर निकाल कर जला दिया और स्वेटर की आग गत्म होती उसे पहले मैंने अपनी कमीज निकाल कर जला दी। जान बचाने के लिए कुछ तो करना ही था। इसलिए मैं अपने शरीर में पहने सभी कपड़ो को जला रहा था। ऊपर के सभी कपडे गत्म होने पर मैंने अपने पैजामा को उतर कर उसमे भी आग लगा दी।
अब बस मेरा एक कच्चा ही बचा था। उसे पहले मेरे पैजामे की आग गत्म होती उसे पहले ही अब कब्रिस्तान की दीवारे गत्म होने वाली थी जैसे ही मैंने कब्रिस्तान पार करा तो देखा एक बड़ी ही भयानक सी औरत मेरे टांगे से नीचे उत्तरी और उनसे कहा - आज तो बच गया तू पर आगली बार आया तो नहीं बचेगा - इतना बोलकर वो वही खड़ी रही और मैं अपने घर की ओर चला आया उस दिन से मैं कभी उस रास्ते से रात में नहीं जाता
यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित हैं
दगशाई का कब्रिस्तान
दगशाई के कब्रिस्तान में स्थानीय लोगों ने हर रात भूतों को अपना डेरा जमाए देखा है। वह रात के समय खून की तलाश में इधर-उधर घूमते हैं और अपने रास्ते में आने वाले हर इंसान को अपना खाना बना लेते हैं। कब्रिस्तान के कई गेट हैं, वर्ष १९६७ में जब दगशाई में काफ़ी ज़्यादा मौत होने लगी थी। तभी इस कब्रिस्तान को बनाने का काम शुरू किया गया था। दगशाई में रोज काफी लोग मर रहे थे।
जिन्हें दफनाने का स्थान नहीं मिल रहा था। लोग अपने प्रियजनों को घरों के आसपास दफनाने के लिए मजबूर थे। लेकिन ऐसा करने से बदबू और अन्य बीमारियां फैलने लगी थीं। इसी समस्या को हल करने के लिए कब्रिस्तान बनवाया गया था। कब्रिस्तान में ना जाने कितने मरे हुए लोगों के शरीर दफ्न हैं, जिनकी आत्मा अकाल मृत्यु के कारण इस जगह पर अपना डेरा जमाए हुए हैं।
ऐसा नहीं है कि यहां आत्माओं और भूतों को किसी खास दिन ही देखा जाता है बल्कि यहां तो हर रात एक खौफनाक खेल खेला जाता है। जिसके गवाह कई बार स्थानीय लोग बन चुके हैं। लेकिन इस खेल को देखने के बाद उनके साथ कोई ना कोई हादसा भी जरूर होता है, जिसकी वजह से कभी वह इस बात का जिक्र नहीं कर पाए कि आखिर उन्होंने वहां ऐसा देखा क्या था। २००१ की बात है जब स्कूल में पढ़ने वाली दो छात्राओं ने यह दावा किया था कि उन्होंने कब्रिस्तान के किनारे पर आत्माओं को देखा है।
इस घटना के बाद वहां घूम रहे एक प्रेमी जोड़े ने भी एक आत्मा को देखने की बात स्वीकार की। उनका कहना था कि कब्रिस्तान के तीसरे गेट के पास उन्होंने एक अत्याधिक लंबे बालों वाली औरत को देखा था जो एक इंसान का खून पी रही थी। उसे देखकर उनके होश उड़ गए और वो भागने लगे। वह चुड़ैल धीरे-धीरे उनके पास आने लगी लेकिन किसी तरह वो अपनी जान बचाकर भागे।
इस घटना के बाद कई अन्य लोगों ने भी को चुड़ैल को घूमते-फिरते देखा है। इसीलिए आज इस जगह पर किसी लाश को दफनाया नहीं जाता और ना ही इस जगह पर कोई आता-जाता है।
कब्रिस्तान से आया पिज़्ज़ा का आर्डर
ऋषि रात के 10 बजे अपनी बाइक पर बैठ कर अपनी डिवटी ख़तम होने का इंतजार कर रहा था। ऋषि एक फ़ूड डिलीवरी बॉय था । जिसकी डिवटी 11 बजे ख़तम होती थी। ऋषि इंतजार ही कर रहा था। तभी उसके फ़ोन में एक आर्डर आया। आर्डर किसी विनोद कुमार नाम से एक पिज़्ज़ा का आर्डर था और उसके पास के ही रेस्टोरेंट से था। ऋषि जल्दी से रेस्टोरेंट में जाता हैं। और आर्डर लेकर डिलीवरी करने जाने लगता हैं । आर्डर की डिलीवरी रेस्टोरेंट की लोकेशन से पाँच किलोमीटर की दुरी पर थी।
ऋषि 80 की स्पीड से जल्दी से आर्डर की लोकेशन पर पहुंच जाता हैं। लोकेशन एक कब्रिस्तान की थी। लोकेशन पर पहुंच कर ऋषि अपने आप से कहता हैं। - यार गलत लोकेशन ये लोग आर्डर तो कर लेते हैं पर लोकेशन गलत डाल देते हैं - यही सब बोलते हुए ऋषि आर्डर के नीचे दिए नम्बर पर कॉल करने लगता हैं। एक दो ही रिंग में कॉल रिसीव हो जाता हैं कॉल रिसीव होते ही ऋषि बोलता हैं। - हेलो सर मैं ऋषि आपका पिज़्ज़ा का आर्डर लेकर आया हूँ सर आप मुझे अपना सही एड्रेस बता दीजिये वो सर ये GPS मुझे लागत लोकेशन पर ले आया हैं। - ऋषि की बात सुनकर दूसरी ओर वाला आदमी बोलता हैं - आप अभी कहाँ हैं - ऋषि उस आदमी की बात का जवाब देता हैं - मैं अभी कब्रिस्तान के गेट के आगे हूँ GPS मुझे यहाँ लेआया हैं - ऋषि की बात सुन कर वो आदमी बोलता हैं - तुम बिलकुल सही जगह पर हो। तुम कब्रिस्तान का गेट खोलकर अंदर आ जाओ मैं अभी अंदर ही हूँ।
यह सुनकर ऋषि को बड़ा अजीब लगाता हैं। पर वो सोचता हैं - क्या पता ये आदमी कब्रिस्तान का चौकीदार हो। इसलिए तो इतनी रात को भी कब्रिस्तान के अंदर हैं।
ऋषि ठीक हैं सर बोलकर फ़ोन रख देता हैं
ऋषि यही सोच रहा था की वो अंदर जाए या नहीं ऋषि अपने आप से बोलता हैं - नहीं यार मैं आर्डर केंसिल नहीं कर सकता आर्डर केंसिल करा तो फालतू की पैनल्टी लग जाएगी जितना आज काम करा हैं सब देना पड़ जाएगा। ऋषि ना चाहते हुए भी कब्रिस्तान के अंदर जाने लगता हैं। ऋषि कब्रिस्तान के अंदर आ तो गया था पर उसे ना जाने क्यों थोड़ा डर लग रहा था। कब्रिस्तान के अंदर आकर देखता तो उसे वहाँ कोई नहीं दिखता। ऋषि को जब अंदर कोई नहीं दिखता तो वो बोलता हैं। - अरे यार यह चौकीदार का कमरा कहाँ हैं - ऋषि यह पूछने के लिए उस आदमी को फ़ोन करने लगता हैं।
ऋषि जब उस आदमी को फ़ोन करता हैं तो दूसरी ओर से आवाज आती हैं। - आपके द्वारा देईल किया गया नम्बर अमान्य हैं। - ऋषि हैरानी के साथ बोलता हैं - ये कैसे हो सकता हैं अभी तक तो इस ही नम्बर से बात हो रही थी और अब नम्बर गलत बता रहा हैं गैर छोड़ो मुझे क्या कंपनी में बोल देता हो सर कस्टमर का नम्बर नहीं लग रहा और आर्डर केंसिल हो जायेगा और फ्री का पिज़्ज़ा मिल जायेगा। ऋषि जैसे ही अपना फ़ोन कंपनी में लगाने जा रहा था तभी उसका पैर किसी चीज से टकरा जाता हैं और वो नीचे गिर जाता हैं। ऋषि उड़ते हुए अपने फ़ोन की टोर्च जला कर देखने की कोशिश करता हैं की वो किस चीज से टकरा कर गिरा था।
ऋषि जब अपने फ़ोन की टोर्च जलाता हैं तो वो देखता हैं की वो एक क़ब्र से टकरा कर नीचे गिर गया था। और उस क़ब्र पर लिखा था लेट विनोद कुमार जैसे ही ऋषि यह पढ़ता हैं तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती हैं। ऋषि डर से कप ही रहा था तभी। उसके पीछे से एक आवाज आती हैं। - हाँ भैया मेरा ही आर्डर हैं मैं ही विनोद कुमार हूँ - ऋषि आवाज सुनकर जैसे ही अपने पीछे मोड़ता हैं। वो देखता हैं उसके पीछे एक 25-26 साल का लड़का खड़ा था। ऋषि उसको देखकर डरे ही जा रहा था। तभी विनोद ऋषि से बोलता हैं - अरे क्या हो गया भाई तुम इतना डर क्यों रहे हो - ऋषि पहले तो कुछ नहीं बोलता फिर डरते डरते बोलता हैं। - वो-वो क़ब्र पर आपका ही नाम लिखा हैं - ऋषि की बात सुनकर वो आदमी बोलता हैं।- अबे भाई क्या एक नाम के और लोग नहीं हो सकते - ऋषि को उसकी बात सही लगती हैं
और वो उसको उसका आर्डर देता हैं और शक करते हुए बोलता हैं। -आप इतनी रात को कब्रिस्तान में क्या कर रहे हैं फिर - ऋषि की बात सुनकर वो आदमी बोलता हैं - मैं यही रहता हूँ - यही बोलकर वो आदमी कब्रिस्तान के ओर अंदर जाने लगता हैं । उस आदमी का ऐसा वैवार देख कर ऋषि को बड़ा अजीब लगता हैं। ऋषि उस आदमी को जाते देख ही रहा था तभी उसके पीछे से एक आवाज आती हैं। - अरे कौन हैं मैं कहता हूँ कौन हैं वहाँ - ऋषि आवाज सुनकर पीछे मूड कर देखता हैं।
वहाँ एक 60-65 साल का आदमी खड़ा था उसके कपडे देख कर लग रहा था वो वहाँ का चौकीदार था। अरे कौन हो बेटा तुम और इतनी रात को इस कब्रिस्तान में क्या कर रहे हो - ऋषि उस आदमी की बात का जवाब देते हुए बोलता हैं। अंकल मैं एक डिलीवरी बॉय हूँ और मैं यहाँ पिज़्ज़ा डिलीवरी करने ही आया था। - ऋषि की बात सुनकर वो चौकीदार बड़ी हैरानी के साथ बोलता हैं - पिज़्ज़ा डिलीवरी करने पर किसको - ऋषि जवाब देता हैं। - यहाँ जो दूसरे चौकीदार हैं ना उनको - चौकीदार ऋषि की बात सुनकर अपनी आँखे बड़ी करते हुए बोलता हैं - दूसरा चौकीदार अरे बेटा ये कब्रिस्तान हैं कोई बैंक नहीं जो दो तीन चौकीदार हो यहाँ बस एक ही चौकीदार हैं वो भी बस दिन के टाइम के लिए वैसे उसने अपना नाम क्या बताया था -
ऋषि झट से बोलता - विनोद कुमार - विनोद कुमार का नाम सुनकर वो आदमी बोलता हैं - वो सामने देख रहे हो वो उसकी ही क़ब्र हैं और अब तुम यहाँ से जल्दी चले जाओ नहीं तो यहाँ कुछ भी हो सकता हैं। ऋषि उस आदमी की बात सुनकर बोलता हैं - कुछ भी अब आप कुछ भी बोलोगे क्या अंकल आज मैं ही मिला क्या आपको डराने के लिए।
चौकीदार अपनी गंभीर आवाज में बोलता हैं - क्या तुमने ये नहीं सोचा की वो आदमी इतनी रात को कब्रिस्तान में क्या कर रहा हैं और वो अब कहाँ गया। - ऋषि चौकीदार को अपने हाथ से इशारा करते हुए बोलता हैं - वो उस ओर गया था पता नहीं अब कहाँ चला गया - यही बोल कर जैसे ही ऋषि चौकीदार की ओर देखता हैं तो चौकीदार वहाँ नहीं था। ऋषि डरते हुए बोलता हैं - अरे ये अंकल कहाँ चले गए अभी तो यही थे। ऋषि सब समझते देर नहीं करता और कब्रिस्तान के बाहर की ओर भागने लगता हैं ऋषि जैसे ही के कब्रिस्तान गेट के पास पूछता हैं तो देखता हैं कब्रिस्तान के गेट में बाहर से ताला लगा था। ऋषि डरा हुआ तो पहले से ही था तभी उसको और डराने के लिए उसके पीछे से एक आवाज आती हैं। - अरे बेटा तुम अभी तक यहाँ से गए नहीं क्या - ऋषि आवाज सुन कर जैसे पीछे मुड़ता हैं तो वो देखता हैं यही चौकीदार उसके सामने खड़ा था पर इस बार वो कुछ अलग लग रहा था। इस बार उसका चेहरा सूखा और सफ़ेद था
वो चौकीदार ऋषि के पास आते हुए बोलता हैं - तुम अभी तक गए नहीं मैंने कहा था ना चले जाओ पर तुम नहीं गए लगता हैं तुम्हे यह कब्रिस्तान पसंद आ गया हैं - यही बोलते हुए वो चौकीदार ऋषि के पास आते जा रहा था। ऋषि का उस चौकीदार को पास आते देखकर ऋषि की सांसे रुकने सी लगी थी। वो चौकीदार जितना पास आते जा रहा था वो उतना ही भयानक होते जा रहा था। चौकीदार ऋषि के पास आ कर बोलता हैं - मैंने कहा था ना तुम यहाँ से चले जाओ पर तुम नहीं गए ना। चलो कोई नहीं अब मैं तो तुम्हे कुछ नहीं करूंगा पर वो तुझे नहीं छोड़ेगी - ऋषि डरते हुए पूछता हैं कौन नहीं छोड़ेगी। -
चौकीदार ऋषि को उसके पीछे देखने का इशारा करता हैं। जैसे ही ऋषि अपने पीछे देखता हैं तो ऋषि को ऐसा लग रहा था जैसे उसका दिल अभी छाती फाड़ कर बाहर आ जायेगा क्यूंकि ऋषि के सामने कोमल खड़ी थी। कोमल को सामने देखकर ऋषि को सब समझ आ गया था उसके साथ यह सब क्यों हो रहा। कोमल ऋषि की गर्लफ्रेंड थी जिसे ऋषि ने 1 साल पहले पिज़्ज़ा में जहर देकर मार दिया था। और अब कोमल के हाथ में भी एक पिज़्ज़ा का बॉक्स था।
कोमल वो पिज़्ज़ा का बॉक्स ऋषि के पास लाती हैं और बड़े प्यार से बोलती हैं - ये लो ऋषि मैं ये पिज़्ज़ा मैं खाश तुम्हारे ही लिए लई हूँ । - ऋषि जैसे ही उस पिज़्ज़ा के बॉक्स की तरफ देखता हैं तो उसको दिखता हैं उसमे एक हाथ कटा हुआ रखा था। ऋषि जैसे ही उस हाथ को देखता हैं तो उसको ऐसा लगने लगा था जैसे उसका एक हाथ कट गया हो। जैसे ही ऋषि अपने हाथ की ओर देखता हैं तो वो देखता हैं जो उस बॉक्स में हाथ था वो और किसी का नहीं बल्कि उसी का हाथ था। ऋषि अपना हाथ देखकर दर्द से तड़पने लगा था तभी कोमल अपनी ड्रावनी मुस्कान के साथ बोलती हैं - इसे खाओ ऋषि - ऋषि रोते हुए बोलता हैं - मुझे माफ कर दो कोमल मुझसे गलती हो गई - कोमल अपनी गंभीर आवाज में बोलती हैं - मैंने कहा इसे खाओ ऋषि मतलब इसे खाओ । - जैसे ही उस बॉक्स को पकड़ने के लिए ऋषि अपना हाथ आगे करता हैं वो देखता हैं उसका दूसरा हाथ भी कटा हुआ था। ऋषि दर्द और डर से तड़पे जा रहा था और कोमल मुस्कते हुए ऋषि का दिल देखते ही देखते चहती से निकल लेती हैं।
ऋषि ने अपने हाथो से कोमल को जहर दिया था तो उसने सबसे पहले ऋषि के हाथ कटे और फिर उसने कोमल के दिल के साथ खेला था इस लिए कोमल ने उसका दिल ही निकल लिया था।